रायपुर/मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गांवों का विकास किए बिना राज्य को विकसित नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीण विकास की रीढ़ बताते हुए नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों और उपाध्यक्षों से इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में जिला पंचायत अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति से अकेला व्यक्ति भी जिले की तस्वीर बदल सकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक जीवन का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने भी पंच के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया था और जनता के आशीर्वाद से आज राज्य की सेवा का अवसर मिला है। उन्होंने डॉ. अच्युत सामंत और नानाजी देशमुख जैसे उदाहरणों का जिक्र करते हुए कहा कि सेवा भावना से कोई भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास में नक्सलवाद एक बड़ी बाधा था, जिसे राज्य सरकार ने खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास नीति के तहत surrendered नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने जिला पंचायत अध्यक्षों से विकास कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने और नियमित क्षेत्रीय दौरे करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रवास और निरीक्षण से प्रशासनिक कसावट आती है और योजनाओं का लाभ सही तरीके से जनता तक पहुंचता है।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े कानूनी प्रावधानों और प्रक्रियाओं की जानकारी जरूरी है। उन्होंने ग्राम विकास के लिए निर्माण कार्यों के साथ-साथ अन्य आजीविका के साधनों जैसे दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा देने पर बल दिया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पेसा पंचायत उपबंध मार्गदर्शिका, पंचमन पत्रिका और जिला पंचायत प्रतिनिधियों के लिए पठन सामग्री का विमोचन भी किया। संस्थान परिसर में उन्होंने मौलश्री पौधे का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।