रायपुर/बस्तर की सांस्कृतिक मिट्टी से जुड़ी कला और परंपरा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले गढ़बेंगाल निवासी पंडीराम मंडावी को वर्ष 2025 के पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें यह सम्मान जनजातीय वाद्य यंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया।
पंडीराम मंडावी ने पारंपरिक गोंड और मुरिया समाज की सांस्कृतिक विरासत को न सिर्फ सहेजा, बल्कि उसे देश-दुनिया में पहचान दिलाई। उनके कार्यों ने बस्तर की लोककला को नई ऊंचाई दी और आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडीराम मंडावी को शुभकामनाएं देते हुए कहा—
“यह सम्मान छत्तीसगढ़ की जनजातीय प्रतिभा और सांस्कृतिक समृद्धि का गौरवपूर्ण प्रतीक है। पंडीराम मंडावी जैसे कलाकारों ने सिद्ध किया है कि बस्तर की कला वैश्विक मंच पर अपनी जगह बना सकती है। यह उपलब्धि पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।”
पंडीराम मंडावी का यह सम्मान न सिर्फ उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है, बल्कि बस्तर की लोकपरंपरा, शिल्प और सांस्कृतिक चेतना को भी राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाला क्षण है।