रायपुर/छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वनांचल क्षेत्रों में हिंसक वन्यप्राणियों के हमलों से हो रही जनहानि, पशुहानि और फसल क्षति के मामलों में त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पीड़ित परिवारों को नियमानुसार और मानवीय दृष्टिकोण से समयबद्ध सहायता मिलनी चाहिए।

मुख्यमंत्री साय आज मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर में आयोजित वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाथी-मानव द्वंद्व और अन्य वन्यजीवों के हमले ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। ऐसे में शासन की जवाबदेही बनती है कि प्रभावितों को न्याय मिले और उनकी पीड़ा का शीघ्र निराकरण हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाथियों द्वारा केवल धान नहीं, बल्कि गन्ना, केला, पपीता और कटहल जैसी नगदी फसलों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक ही नहीं, मानसिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। बैठक में उन्होंने व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टों की अद्यतन स्थिति की भी जानकारी ली।
बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि क्षतिपूर्ति की सहायता समय पर प्रभावितों तक पहुंचे, इसके लिए विभागीय समन्वय को और अधिक मजबूत किया जाएगा। जनहानि, स्थायी अपंगता, पशुहानि, मकान क्षति और फसल क्षति के मुआवज़े की दरों में वृद्धि का प्रस्ताव भी बैठक में प्रस्तुत किया गया।
बैठक में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली फसल क्षति के लिए आरबीसी प्रावधानों के तहत दी जाने वाली सहायता पर भी विस्तृत चर्चा हुई।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, सचिव राहुल भगत, कृषि सचिव शहला निगार, राजस्व सचिव अविनाश चंपावत, योजना सचिव अंकित आनंद, सचिव (वन) अमरनाथ प्रसाद, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) सुधीर अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।