जगदलपुर/पूर्व केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनजातीय समाज के बीच वैचारिक संवाद की जरूरत पर जोर दिया है। नेताम का कहना है कि जनजातीय समाज की भलाई के लिए विचारों का आदान-प्रदान समय की मांग है।
83 वर्षीय अरविंद नेताम ने रविवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा कि आरएसएस देश का सबसे बड़ा वैचारिक संगठन है, जो धर्म, संस्कृति और समाज के संरक्षण के जरिए राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ जनजातीय समाज के लिए ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ जैसे कई प्रकल्प चला रहा है, लेकिन दोनों के बीच अब भी कुछ वैचारिक दूरी बनी हुई है।
नेताम ने कहा कि जनजातीय समाज की समस्याओं और अपेक्षाओं को लेकर संवाद की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से वह 5 जून को नागपुर में आयोजित विकास वर्ग–द्वितीय वर्ग समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर जनजातीय समाज की चिंताओं पर चर्चा करेंगे। नेताम ने आर्थिक उदारीकरण को जनजातीय समाज के लिए हानिकारक बताया और कहा कि इस पर गंभीर विमर्श होना चाहिए।
नेताम का राजनीतिक सफर:
1971 में कांग्रेस के टिकट पर कांकेर से लोकसभा पहुंचे।
इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रहे।
1998 के बाद कांग्रेस छोड़कर बसपा, एनसीपी और भाजपा से जुड़े।
2 साल पहले कांग्रेस से अलग होकर आदिवासी समाज के मुद्दों पर सक्रिय।