रायपुर/मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के साथ “रक्षक पाठ्यक्रम” के लिए एमओयू किया। बाल अधिकार और संरक्षण पर आधारित यह देश का पहला स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पाठ्यक्रम “छात्रों के सुरक्षित और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।” उन्होंने बताया कि राज्य सरकार सुशासन की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है और 350 से अधिक प्रशासनिक सुधार लागू कर चुकी है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने इसे बाल अधिकार संरक्षण क्षेत्र में “मील का पत्थर” बताया। उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने इसे छत्तीसगढ़ के लिए “ऐतिहासिक कदम” कहा।
एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन
यह कोर्स पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर, आंजनेय विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय और श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई-दुर्ग में शुरू होगा।
क्या मिलेगा छात्रों को?
बाल अधिकार और कानूनों का सैद्धांतिक ज्ञान
बाल संरक्षण योजनाओं, संस्थाओं व प्रक्रियाओं की समझ
प्रायोगिक प्रशिक्षण और फील्ड एक्सपोजर
बाल संरक्षण क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर
आयोग द्वारा प्रशिक्षण, परामर्श और पाठ्यक्रम संचालन का पूरा सहयोग विश्वविद्यालयों को निःशुल्क दिया जाएगा।

