नई दिल्ली/इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की चमक-धमक के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक गंभीर सवाल उठाया है—क्या इस लीग की आड़ में देश में सट्टेबाज़ी और जुए को बढ़ावा मिल रहा है? शुक्रवार को कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े एप्स के नियमन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा—”IPL के नाम पर लोग बड़े पैमाने पर सट्टा लगा रहे हैं और जुआ खेल रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है।”
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता केए पाल की ओर से दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सट्टेबाजी और जुए से जुड़े कई ऑनलाइन एप्स का इस्तेमाल करने के बाद कई बच्चों ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि वह ऐसे लाखों माता-पिता की ओर से अदालत के सामने खड़े हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है।
अभिनेता और क्रिकेटर कर रहे प्रचार, लेकिन नहीं कोई चेतावनी!
पाल ने आरोप लगाया कि कई बड़े अभिनेता और पूर्व क्रिकेटर इन ऑनलाइन एप्स का प्रचार कर रहे हैं, जिससे बच्चे इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने इसकी तुलना सिगरेट पैक पर मौजूद चेतावनी से करते हुए कहा—”जब सिगरेट के पैकेट पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी अनिवार्य है, तो फिर सट्टेबाजी एप्स पर क्यों नहीं?”
याचिका में यह भी बताया गया कि मौजूदा IPL सीजन के दौरान भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर भी इन एप्स का प्रचार कर चुके हैं।
क्या सरकार बनाएगी सख्त नियम?
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद अब निगाहें केंद्र सरकार की ओर हैं कि वह ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए से जुड़े इस संवेदनशील मसले पर क्या रुख अपनाती है।