रायपुर/पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मनी लॉन्ड्रिंग की धारा 44 समेत PMLA की कई धाराओं को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर जांच प्रक्रिया में कोई खामी लगती है तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।
क्या था मामला
भूपेश बघेल ने PMLA की धारा 44, 50 और 63 को चुनौती दी थी। उनका आरोप था कि शराब घोटाले के मामले में ED ने बिना कोर्ट की अनुमति के दूसरी चार्जशीट दाखिल की, जो कानून के खिलाफ है। साथ ही, धारा 50 के तहत आरोपी से अपने ही खिलाफ गवाही लेना न्याय की मूल भावना के विपरीत बताया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ED को मिले अधिकारों को गलत नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर बघेल को जांच प्रक्रिया पर आपत्ति है तो वे हाई कोर्ट में अपील करें।
बघेल का आरोप
भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि ED की कार्यशैली मनमानी है और वह कानून की सीमाओं का पालन नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि एक बार चार्जशीट दाखिल होने के बाद बिना कोर्ट की अनुमति के दूसरी चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकती, लेकिन ED ने यह नियम तोड़ा।
भूपेश बघेल ने शराब घोटाले में ED की जांच प्रक्रिया और PMLA की कई धाराओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें फिलहाल राहत देने से इनकार कर दिया है।