रायपुर/छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार को तीन बड़े मुद्दों पर कटघरे में खड़ा किया। बघेल ने किसानों की दुर्दशा, सुशासन तिहार में अनियमितता और कर्रेगुट्टा नक्सल ऑपरेशन की रणनीति पर गंभीर सवाल उठाए।
किसानों की हालत पर चिंता जताते हुए भूपेश बघेल ने कहा:
“छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन यहां के किसान आज परेशान हैं। रबी फसल का उन्हें समुचित लाभ नहीं मिल रहा। धान बाजार में आ चुका है, लेकिन कीमत नहीं मिल रही। खाद और बीज की किल्लत है। न डीएपी मिल रहा, न यूरिया। किसानों को डीएपी की जगह कोई दूसरा खाद थमा दिया जा रहा है। यह किसानों के साथ धोखा है।”
सुशासन तिहार पर टिप्पणी करते हुए बघेल ने कहा:
“लोगों से आवेदन लिए जा रहे हैं, लेकिन पावती नहीं दी जा रही। यही वजह है कि उनके आवेदन का निराकरण नहीं हो पा रहा। मस्तुरी में हालात ऐसे थे कि अधिकारियों को भागना पड़ा। भाजपा के लोग सिर्फ वसूली में लगे हुए हैं, जनता की चिंता किसी को नहीं।”
नक्सल ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए भूपेश बघेल ने कहा:
“कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों को केवल एक ओर से घेरा गया, यही वजह रही कि नक्सली वहां से बचकर निकल गए। रणनीति किसने बनाई थी? क्यों पूरे पहाड़ को घेरने की व्यवस्था नहीं की गई? यह सवाल उन रणनीतिकारों से है जिन्होंने ऑपरेशन की योजना बनाई।”
निष्कर्ष:
पूर्व मुख्यमंत्री के तीखे सवालों ने राज्य सरकार की कार्यशैली और प्राथमिकताओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इन आरोपों पर क्या जवाब देती है।